शर्म उनको मगर नहीं आती...

Last Updated: Thursday, November 21, 2013, 17:12

सामाजिक मूल्यों और नैतिकता की वकालत करने वाले, नेताओं और नौकरशाहों को कठघरे में खड़ा करके ‘तहलका’ मचाने वाले किस हद तक मीडिया की ‘डर्टी पिक्चर’ पेश कर रहे हैं, तेजपाल साहब उसके एक नमूने हैं। उनकी बुद्धिजीवी दाढ़ी, तीखी आंखों और तल्ख तेवर के पीछे कौन सा शैतान है, वो खुद बता रहे हैं।

साहेब, शहजादा और गुलाम

Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 21:26

क्‍या इस देश में कानून अंधा है, क्या हमारा संविधान किसी की भी निजी जिंदगी में झांकने का अधिकार देता है। क्या इस देश में निजता कानून के दायरे में सिर्फ खास लोग ही आते हैं, क्या चंद खास लोगों को ही राइट टू प्राइवेसी का इस्तेमाल करने का हक है।

पंजाब में `सियासी` खिलाड़ियों का डोप टेस्ट

Last Updated: Wednesday, November 20, 2013, 18:58

क्या खिलाड़ियों की तरह सियासी नुमायंदों का भी डोप टेस्ट होना चाहिए? पहली नजर में तो ये अजीबोगरीब सवाल लगता है कि लेकिन पंजाब के संदर्भ में इसके खास मायने समझे जा रहे हैं। असल में ये सवाल उठाया है पंजाब के पूर्व कारागार महानिदेशक शशिकांत ने जो राज्य में नशा विरोधी मुहिम छेड़ रहे हैं।

अटल को `भारत रत्‍न` क्‍यों?

Last Updated: Tuesday, November 19, 2013, 18:15

मॉडर्न इंडिया में पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी को छोड़ दें तो अटल बिहारी वाजपेयी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनकी स्वीकार्यता पार्टी लाइन, धर्म, जाति से हटकर हर दल हर वर्ग, हर उम्र के लोगों में है। अटल जी की शख्सियत में ये महत्वपूर्ण नहीं है कि वो प्रधानमंत्री रहे थे या इतने बड़े पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी पार्टी के किसी नेता या फिर किसी भी विरोधी नेता के लिए कभी भी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया।

स्टोरकीपर कैसे बना अरबपति

Last Updated: Monday, November 18, 2013, 20:59

यूपी में बिजली की हालत किसी से छिपी नहीं है। पॉवर कॉरपोरेशन की बिगड़ी सेहत भी जगजाहिर है। ऐसे में सूबे में बिजली के दर्द की मारी जनता को सूकून देने के लिए जो थोड़े बहुत सरकारी वादे हुए भी वो भी तन्त्र के मकड़जाल में कुछ यूं उलझ कर रह गए कि हालात बदलना तो दूर बदलाव के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ।

आखिर दूसरा ‘सचिन’ क्यों नहीं हो सकता?

Last Updated: Saturday, November 16, 2013, 19:55

पूरे देश के लिए हो न हो लेकिन तमाम टीवी चैनलों और उससे जुड़े क्रिकेटप्रेमियों के लिए सचिन का भावुक होना, उनकी आंखें नम होना और अपने आखिरी मैच में जीत के तोहफे के साथ सभी से गले मिलना एक ‘बड़ी खबर’ ज़रूर है। और उससे भी बड़ी खबर इस महानायक का वो भावुक और दिल को छू लेने वाला संबोधन।

राम नाम की लूट है...

Last Updated: Thursday, November 14, 2013, 19:12

राम और राजनीति एक दूसरे के पर्याय बनते जा रहे हैं। भारत में जब-जब चुनाव होते हैं, राम खुद-ब-खुद चर्चा में आ ही जाते हैं। राम के नाम का सहारा अपने-अपने ढंग से देश की लगभग सभी प्रमुख पार्टियां लेती रही हैं।

कुर्सी के लिए देशहित की बलि

Last Updated: Wednesday, November 13, 2013, 16:59

श्रीलंका में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम सम्मेलन) में ना जाने का फैसला करके भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए तमिलनाडु के एक क्षेत्रीय दल के सामने घुटने टेक दिए हैं।

मज़हब, संत और सियासत

Last Updated: Sunday, November 10, 2013, 21:03

ये लाइनें हिंदी के मशहूर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की कविता मधुशाला से हैं और ये इस बात को ताकीद करती रही हैं कि मधुशाला में जाकर मजहब का भेदभाव मिट जाता है, लेकिन अब नया ट्रेंड साधू संतों कथावाचकों की राजनीति में बढ़ती दिलचस्पी और सत्ता-कॉरपोरेट घरानों के बीच में शुरू हुई लॉबिंग के खेल में उनकी सक्रियता के चलते पूरा का पूरा समीकरण बदलता दिखाई दे रहा है।

सीबीआई के गठन पर नई बहस

Last Updated: Sunday, November 10, 2013, 13:46

सीबीआई के गठन को असंवैधानिक करार देने वाले गौहाटी हाईकोर्ट के फैसले पर देश की एपेक्स कोर्ट ने रोक लगा दी है, लेकिन इससे ये नहीं कहा जा सकता कि सीबीआई के गठन पर खड़ा हुआ विवाद थम गया है। दरअसल अपनी कार्यशैली की वजह से हमेशा से विवादों में रही इस जांच एजेंसी पर अब नई बहस शुरू हो गई है।